श्री मूकाम्बिका पंचरत्न स्तोत्रम
मूलाम्भोरुहमध्य कोणविलसत् बान्धूकरागोज्वलाम
ज्वालाज्वाल जीतेन्तु कान्तिलहरीम आनन्तसान
तायिनीम
हेलालालित नीलाकुन्तलधाराम नीलोतपलाभां
शुकाम
कोल्लूराद्रिनिवासिनीम् भगवतीम ध्यायामि मूकाम्बिकाम
बालादित्य निबाननाम त्रिनयनाम बालेन्दुना भूषिताम
नीलाकारा सुकेशिनीम् सुललिताम् नित्यान्न
दानप्रियाम
शंखं चक्रवराभयञ्झ दधतीम सारस्वतार्थप्रदाम
ताम बालाम त्रिपुरीम् शिवेन सहिताम्
ध्यायामि मूकाम्बिकाम
मध्यांनरक्कसहस्रकोटी सद्रशाम मायान्धकारे स्थितां
मायाजालविराजिताम् मदकरीम मारेण संसेविताम शूलं पाश कपाल पुस्तकधराम शुद्धार्थ विझनानदाम
ताम बालाम त्रिपुरीम् शिवेन सहिताम्
ध्यायामि मूकाम्बिकाम
कल्याणीम कमलेक्षणाम वरनिधिम् मन्थारा चिन्तामणिम
कल्याणीम घनसंस्थितां घनकृपाम मायाम महा वैष्णवीम
कल्याणीम भवातीम विकरम्मशमनाम कांजीपुरीम्
कामदाम
कल्याणीम त्रिपुरीम् शिवेन सहिताम ध्यायामि मूकाम्बिकाम
कालंबोधरा कुंतलाम स्मितमुखीम कर्पूरहारोज्वलाम
कर्णालंबितहेमकुंडलधराम माणिक्यकांनझीधराम
कैवल्यियकपरायणाम कलमुखीम पद्मासने संस्थिताम्
ताम बालाम त्रिपुरीम् शिवेन सहिताम् ध्यायामि मूकाम्बिकाम
मन्दारकुन्दकुमुदोत्पल मल्लिकाबजै:
श्रृंगारवेषसुरपूजित वंन्दीतामघ्रिम
मन्दारकुन्दकुमुदोत्पल सुन्दरामगी
मूकाम्बिके मयि निधेहि क्रिपा कटाक्षम
(This is a stotram specially for students )
मूलाम्भोरुहमध्य कोणविलसत् बान्धूकरागोज्वलाम
ज्वालाज्वाल जीतेन्तु कान्तिलहरीम आनन्तसान
तायिनीम
हेलालालित नीलाकुन्तलधाराम नीलोतपलाभां
शुकाम
कोल्लूराद्रिनिवासिनीम् भगवतीम ध्यायामि मूकाम्बिकाम
बालादित्य निबाननाम त्रिनयनाम बालेन्दुना भूषिताम
नीलाकारा सुकेशिनीम् सुललिताम् नित्यान्न
दानप्रियाम
शंखं चक्रवराभयञ्झ दधतीम सारस्वतार्थप्रदाम
ताम बालाम त्रिपुरीम् शिवेन सहिताम्
ध्यायामि मूकाम्बिकाम
मध्यांनरक्कसहस्रकोटी सद्रशाम मायान्धकारे स्थितां
मायाजालविराजिताम् मदकरीम मारेण संसेविताम शूलं पाश कपाल पुस्तकधराम शुद्धार्थ विझनानदाम
ताम बालाम त्रिपुरीम् शिवेन सहिताम्
ध्यायामि मूकाम्बिकाम
कल्याणीम कमलेक्षणाम वरनिधिम् मन्थारा चिन्तामणिम
कल्याणीम घनसंस्थितां घनकृपाम मायाम महा वैष्णवीम
कल्याणीम भवातीम विकरम्मशमनाम कांजीपुरीम्
कामदाम
कल्याणीम त्रिपुरीम् शिवेन सहिताम ध्यायामि मूकाम्बिकाम
कालंबोधरा कुंतलाम स्मितमुखीम कर्पूरहारोज्वलाम
कर्णालंबितहेमकुंडलधराम माणिक्यकांनझीधराम
कैवल्यियकपरायणाम कलमुखीम पद्मासने संस्थिताम्
ताम बालाम त्रिपुरीम् शिवेन सहिताम् ध्यायामि मूकाम्बिकाम
मन्दारकुन्दकुमुदोत्पल मल्लिकाबजै:
श्रृंगारवेषसुरपूजित वंन्दीतामघ्रिम
मन्दारकुन्दकुमुदोत्पल सुन्दरामगी
मूकाम्बिके मयि निधेहि क्रिपा कटाक्षम
(This is a stotram specially for students )
Your sincere wishes to all the students will definitely reach to them !
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